संकेत हैं कि आयोग की कन-पटी पर ‘जूँ के रेंगने’ जैसा कुछ न कुछ प्रभाव तो पड़ा ही है। यों आयोग ने, केवल दिखावे के लिए ही, एक तरह से मुखौटा लगाया है। लेकिन, किसी सुन-बहरे को इसके लिए विवश कर पाने को कि वह स्वीकारे कि बहरा-पन उसका कोरा दिखावा रहा क्या कोई नगण्य …
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Aug 09
राज्य सूचना आयोग के मुख्य आयुक्त के नाम खुला पत्र
आयोग के गठन की निरर्थकता और दुर्दशा की द्विविधा का यथार्थ-परक निवारण करने के लिए यह खुला पत्र लिखने विवश हुआ हूँ ताकि, आयोग के मुखिया को यह सूचित हो कि उसके अपने ही कार्यालय में आयोग के साथ ही अधिनियम की भी सच्ची उपयोगिता को प्रमाणित करने की घड़ी एक बार फिर से आ …
Aug 01
राज्य सूचना आयोग : क्या स्वयं आयोग के भीतर है अधिनियम की सही समझ?
अधिनियम के बन्धन-कारी पालन की दुर्भाग्य-जनक उपेक्षा के लिए क्या केवल विभिन्न सरकारी विभाग ही जिम्मेदार रहे हैं? क्या म० प्र० राज्य सूचना आयोग की अपनी भूमिका इस जिम्मेदारी से कतई मुक्त रही है? सम्भवत:, ऐसी ही किसी सामाजिक पीड़ा के मूल्यांकन के बाद इस पुरातन उक्ति ने जन्म लिया था कि ‘पर उपदेश, कुशल …
Jul 29
सम्मान-प्रदर्शन या घोर अपमान?
दिवंगत् पूर्व राष्ट्रपति के पर्थिव शरीर के प्रति अपने सम्मान को प्रकट करने के लिए प्रधान मन्त्री मोदी विमान-तल समय से नहीं पहुँचे। और, सम्मान के उनके दिखावे की ऐसी इच्छा की पूर्ति के लिए इस महापुरुष के पर्थिव शरीर को, विमान से अपने उतारे जाने की, पर्याप्त प्रतीक्षा करनी पड़ी!
May 20
सूचना के अधिकार को तिलांजलि देता राज्य सूचना आयोग
आयोग की कार्य-शैली आरम्भ से ही दूषित रही है। इसके प्रामाणिक उदाहरण भी सामने आते रहे हैं। इन्हीं प्रमाणों में कुछ ‘माननीयों’ पर लगे ‘स्वार्थ-सिद्धि’ के अत्यन्त गम्भीर आरोप भी सामने आ चुके हैं। जिन पर आरोप लगे हैं, उनमें से अनेक के पास स्वयं को निर्दोष प्रमाणित करने लायक जमीन भी उपलब्ध नहीं है।
Oct 06
किसे नहीं जरूरत संयम की?
यह सही हो सकता है कि अतीत में मतदाता राजनैतिक चालबाजों के झाँसे में आ गया हो। ऐसा आगे भी हो सकता है। लेकिन मुद्दों को समझने, और उन्हें तय करने का भी, मतदाता का अधिकार उससे केवल इस सोच के आधार पर छीना नहीं जा सकता कि वह अन-पढ़ या कि गँवार है, और …
Jul 25
राष्ट्र-भाषा हिन्दी के प्रति मीडिया का दायित्व
पत्र-कारिता और मीडिया की सचाइयाँ परस्पर भिन्न हैं। यह भिन्नता इस व्यवहारिक सचाई से समझी जा सकती है कि ‘पत्र-कारिता’ की प्रतिष्ठा एक सामाजिक धर्म की रही है जबकि ‘मीडिया’ की आज की औसत पहचान पत्र-कारिता के सहारे व्यावसायिक हितों की पूर्ति करने वाले एक संस्थान के पर्याय की है।
Oct 02
सोनिया के खिलाफ़ लड़ेंगे वी के सिंह
जनरल सिंह ने निश्चय किया है कि चुनावी मैदान में वे सोनिया के खिलाफ़ मोदी का सहारा लेंगे।